Benifits: - Ban Basam
बंग भस्म के सेवन से होने वाले लाभ Health Benefits of Vanga Bhasma
1. यह शरीर को पुष्ट करती है।
2. यह अंगों को ताकत देती है।
3. यह रूचि, पाचन, त्वचा की रंगत, बल
आदि में वृद्धि करती है।
4. यह रस, रक्त, ममसा, अस्थि और शुक्र धातु पर काम करती है।
5. बंग को आयुर्वेद में हल्का, दस्तावर, और गर्म माना गया है।
6. यह पित्तवर्धक है।
7. यह कफ रोगों को नष्ट करती है।
8. इसके सेवन से पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
9. यह खून की कमी अर्थात पांडू को दूर करती है।
10. यह नेत्रों की ज्योति बढ़ाती है।
11. यह मुख्य रूप से urinary organs, blood and
lungs मूत्र – प्रजनन अंगों, रक्त और फेफड़ों सम्बंधित रोगों में लाभप्रद है।
12. इसके सेवन से प्रमेह (पुराने जिद्दी पेशाब रोग, डायबिटीज आदि) दूर होते हैं।
13. इसका मुख्य प्रभाव कफ दोष को कम करना है।
14. यह दर्द निवारक है।
15. यह गठिया में लाभकारी है।
16. यह जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी है।
17. यह सूजन को कम करने वाली द्व है।
18. यह कामोद्दीपक है।
19. यह पुरुषों के लिए प्रमेह, शुक्रमेह,
धातुक्षीणता, वीर्यस्राव,
स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता, क्षय आदि में लाभप्रद है।
20. यह टेस्टिकल की सूजन को नष्ट करती है।
21. यह इन्द्रिय को सख्ती देती है और वीर्य को गाढ़ा करती है।
22. यह वातवाहिनी नसों, मांसपेशियों और इन्द्रिय की कमजोरी को दूर कर शुक्र के अनैच्छिक स्राव को रोकती है।
23. यह स्त्रियों के लिए गर्भाशय के दोष, अधिक मासिक जाना, मासिक में दर्द, डिम्ब की कमजोरी आदि में लाभप्रद है।
24. यह रक्त के दोषों को दूर करती है।
वंग भस्म निम्न रोगों में लाभप्रद है:
पुरुषों के रोग Male Disorders:
बीसों प्रकार के प्रमेह
1. धातुक्षीणता
2. पुरुषों का प्रमेह
3. शुक्रमेह
4. शीघ्रपतन
5. स्वप्न दोष
6. वीर्यस्राव
7. किसी रोग के कारण शुक्रस्राव
8. नपुंसकता
9. गोनोरिया, सूजाक, उपदंश
स्त्रियों के रोग Female Disorders:
1. स्त्रियों की प्रदर समस्या
2. गर्भाशय के दोष
3. मासिक की दिक्कतें
4. संतानहीनता
पेशाब सम्बन्धी रोग Urinary Disorders:
बहुमूत्रता
पेशाब के साथ शुक्र जाना
अन्य रोग:
मोटापा
अस्थमा
अनीमिया
कास-श्वास, कोल्ड-कफ-खांसी
रक्त दोष
त्वचा दोष
बंग भस्म की औषधीय मात्रा Medicinal Doses of Vanga Bhasma
इस भस्म को लने की मात्रा 1 रत्ती = 125mg से लेकर 2 रत्ती = 250mg है।
इसे मुख्य रूप से अभ्रक भस्म और
शिलाजीत के साथ अथवा गिलोय सत्त्व और शहद के साथ दिया जाता है।
रोगानुसार वंग भस्म का अनुपान भी भिन्न हो सकता है।
प्रमेह, शुक्रजन्य बहुमूत्रता, क्षीण शुक्र,
अल्पशुक्र, शुष्कशुक्र, दुर्बल शुक्र, वीर्य की कमी आदि में में वंग भस्म को निरंतर एक महीने तक शिलाजीत चार रत्ती, गुडूची सत्व चार रत्ती में मिलाकर शहद के साथ चाटना चाहिए। अथवा
प्रमेह में एक रत्ती वंग भस्म को चार रत्ती हल्दी चूर्ण और एक रत्ती अभ्रक भस्म के साथ लेना चाहिए। अथवा
प्रमेह में एक रत्ती बंग भस्म को तुलसी के रस या पेस्ट के साथ के साथ लेना चाहिए।
1. अनैच्छिक वीर्यस्राव, शुक्र का पतलापन, स्वप्नदोष, शुक्र की कमजोरी, आदि में वंग भस्म का सेवन मलाई के साथ करना चाहिए।
2. स्वप्नदोष में वंग भस्म को इसबगोल की भूसी के साथ लेना चाहिए। अथवा एक रत्ती वंग भस्म को एक रत्ती प्रवाल पिष्टी, और चार रत्ती कबाब चीनी के चूर्ण में शहद मिलाकर लेना चाहिए।
3. हस्त मैथुन, अप्राकृतिक मैथुन की आदत में वंग भस्म को प्रवालपिष्टी और स्वर्णमाक्षिक भस्म के साथ दिया जाता है।
4. वीर्यस्तम्भन के लिए, एक रत्ती बंग भस्म को आधा रत्ती कस्तूरी के साथ देना चाहिए।
5. सुजाक में इसे मोती पिष्टी, रुपया भस्म, इला और वंशलोचन के साथ दिया जाता है।
6. नपुंसकता में एक रत्ती बंग भस्म को
अपामार्ग चूर्ण के साथ लेना चाहिए।
7. शुक्र धातु के पतलेपन में बंग भस्म को मूसली चूर्ण के एक महीने तक निरंतर सेवन करना चाहिए।
8. स्त्रियों की सफ़ेद पानी की समस्या, डिम्ब की निर्बलता, इनफर्टिलिटी में इसे शृंग भस्म के साथ मिलाकर दिया जाता है।
9. श्वेत प्रदर में बंग भस्म को लोह भस्म, शुक्ति भस्म के साथ दिया जाता है।
10. रक्तपित्त में वंग भस्म को प्रवाल पिष्टी के साथ दिया जाता है।
11. मानसिक कमजोरी में वंग भस्म को ब्राह्मी अवलेह और अभ्रक भस्म के साथ लेना चाहिए।
12. अग्निमांद्य में इसे दो रत्ती पिप्पली चूर्ण और शहद के साथ लेना चाहिए।
13. शरीर के बल को बढ़ाने के लिए इसे दो रत्ती जायफल के चूर्ण और शहद के साथ लेना चाहिए।
14. पांडू रोग में एक रत्ती वंग भस्म को दो रत्ती मंडूर भस्म, त्रिफला और शहद के साथ लेना चाहिए। अथवा इसे गो घृत में मिलाकर खाना चाहिए।
1. यह शरीर को पुष्ट करती है।
2. यह अंगों को ताकत देती है।
3. यह रूचि, पाचन, त्वचा की रंगत, बल
आदि में वृद्धि करती है।
4. यह रस, रक्त, ममसा, अस्थि और शुक्र धातु पर काम करती है।
5. बंग को आयुर्वेद में हल्का, दस्तावर, और गर्म माना गया है।
6. यह पित्तवर्धक है।
7. यह कफ रोगों को नष्ट करती है।
8. इसके सेवन से पेट के कृमि नष्ट होते हैं।
9. यह खून की कमी अर्थात पांडू को दूर करती है।
10. यह नेत्रों की ज्योति बढ़ाती है।
11. यह मुख्य रूप से urinary organs, blood and
lungs मूत्र – प्रजनन अंगों, रक्त और फेफड़ों सम्बंधित रोगों में लाभप्रद है।
12. इसके सेवन से प्रमेह (पुराने जिद्दी पेशाब रोग, डायबिटीज आदि) दूर होते हैं।
13. इसका मुख्य प्रभाव कफ दोष को कम करना है।
14. यह दर्द निवारक है।
15. यह गठिया में लाभकारी है।
16. यह जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी है।
17. यह सूजन को कम करने वाली द्व है।
18. यह कामोद्दीपक है।
19. यह पुरुषों के लिए प्रमेह, शुक्रमेह,
धातुक्षीणता, वीर्यस्राव,
स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता, क्षय आदि में लाभप्रद है।
20. यह टेस्टिकल की सूजन को नष्ट करती है।
21. यह इन्द्रिय को सख्ती देती है और वीर्य को गाढ़ा करती है।
22. यह वातवाहिनी नसों, मांसपेशियों और इन्द्रिय की कमजोरी को दूर कर शुक्र के अनैच्छिक स्राव को रोकती है।
23. यह स्त्रियों के लिए गर्भाशय के दोष, अधिक मासिक जाना, मासिक में दर्द, डिम्ब की कमजोरी आदि में लाभप्रद है।
24. यह रक्त के दोषों को दूर करती है।
वंग भस्म निम्न रोगों में लाभप्रद है:
पुरुषों के रोग Male Disorders:
बीसों प्रकार के प्रमेह
1. धातुक्षीणता
2. पुरुषों का प्रमेह
3. शुक्रमेह
4. शीघ्रपतन
5. स्वप्न दोष
6. वीर्यस्राव
7. किसी रोग के कारण शुक्रस्राव
8. नपुंसकता
9. गोनोरिया, सूजाक, उपदंश
स्त्रियों के रोग Female Disorders:
1. स्त्रियों की प्रदर समस्या
2. गर्भाशय के दोष
3. मासिक की दिक्कतें
4. संतानहीनता
पेशाब सम्बन्धी रोग Urinary Disorders:
बहुमूत्रता
पेशाब के साथ शुक्र जाना
अन्य रोग:
मोटापा
अस्थमा
अनीमिया
कास-श्वास, कोल्ड-कफ-खांसी
रक्त दोष
त्वचा दोष
बंग भस्म की औषधीय मात्रा Medicinal Doses of Vanga Bhasma
इस भस्म को लने की मात्रा 1 रत्ती = 125mg से लेकर 2 रत्ती = 250mg है।
इसे मुख्य रूप से अभ्रक भस्म और
शिलाजीत के साथ अथवा गिलोय सत्त्व और शहद के साथ दिया जाता है।
रोगानुसार वंग भस्म का अनुपान भी भिन्न हो सकता है।
प्रमेह, शुक्रजन्य बहुमूत्रता, क्षीण शुक्र,
अल्पशुक्र, शुष्कशुक्र, दुर्बल शुक्र, वीर्य की कमी आदि में में वंग भस्म को निरंतर एक महीने तक शिलाजीत चार रत्ती, गुडूची सत्व चार रत्ती में मिलाकर शहद के साथ चाटना चाहिए। अथवा
प्रमेह में एक रत्ती वंग भस्म को चार रत्ती हल्दी चूर्ण और एक रत्ती अभ्रक भस्म के साथ लेना चाहिए। अथवा
प्रमेह में एक रत्ती बंग भस्म को तुलसी के रस या पेस्ट के साथ के साथ लेना चाहिए।
1. अनैच्छिक वीर्यस्राव, शुक्र का पतलापन, स्वप्नदोष, शुक्र की कमजोरी, आदि में वंग भस्म का सेवन मलाई के साथ करना चाहिए।
2. स्वप्नदोष में वंग भस्म को इसबगोल की भूसी के साथ लेना चाहिए। अथवा एक रत्ती वंग भस्म को एक रत्ती प्रवाल पिष्टी, और चार रत्ती कबाब चीनी के चूर्ण में शहद मिलाकर लेना चाहिए।
3. हस्त मैथुन, अप्राकृतिक मैथुन की आदत में वंग भस्म को प्रवालपिष्टी और स्वर्णमाक्षिक भस्म के साथ दिया जाता है।
4. वीर्यस्तम्भन के लिए, एक रत्ती बंग भस्म को आधा रत्ती कस्तूरी के साथ देना चाहिए।
5. सुजाक में इसे मोती पिष्टी, रुपया भस्म, इला और वंशलोचन के साथ दिया जाता है।
6. नपुंसकता में एक रत्ती बंग भस्म को
अपामार्ग चूर्ण के साथ लेना चाहिए।
7. शुक्र धातु के पतलेपन में बंग भस्म को मूसली चूर्ण के एक महीने तक निरंतर सेवन करना चाहिए।
8. स्त्रियों की सफ़ेद पानी की समस्या, डिम्ब की निर्बलता, इनफर्टिलिटी में इसे शृंग भस्म के साथ मिलाकर दिया जाता है।
9. श्वेत प्रदर में बंग भस्म को लोह भस्म, शुक्ति भस्म के साथ दिया जाता है।
10. रक्तपित्त में वंग भस्म को प्रवाल पिष्टी के साथ दिया जाता है।
11. मानसिक कमजोरी में वंग भस्म को ब्राह्मी अवलेह और अभ्रक भस्म के साथ लेना चाहिए।
12. अग्निमांद्य में इसे दो रत्ती पिप्पली चूर्ण और शहद के साथ लेना चाहिए।
13. शरीर के बल को बढ़ाने के लिए इसे दो रत्ती जायफल के चूर्ण और शहद के साथ लेना चाहिए।
14. पांडू रोग में एक रत्ती वंग भस्म को दो रत्ती मंडूर भस्म, त्रिफला और शहद के साथ लेना चाहिए। अथवा इसे गो घृत में मिलाकर खाना चाहिए।
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